Thursday, March 20, 2008

ताऊ और 'सॉरी'

एक बार म्हारे ताऊ न नयी नयी अँग्रेज़ी सीखी. सीखी के यू समझ ल्यो के दो चार अँग्रेज़ी के आखर सीख लिए. एक दिन ताऊ बड़ा राज़ी होन्दा एक बस मैं जा रिहा था. बस मैं कसूति भीड़ थी ताऊ का पाव एक छोरे के पाव पै पड़ गया . ताऊ फॅट बोल्या 'सॉरी' बेटा..
वो छोरा बोल्या "पता नही कहा कहाँ से जाते है "
थोड़ी देर मैं एक सुथरी सी छोरी बस मैं चढ़ि , अचानक उसका पैर भी उस छ्होरे के पैर पै पड़ गया .
वा छोरी बोली 'सॉरी' और मुस्कुरा दी .
छ्होरा बोल्या "कोई बात नही भीड़ मे तो ऐसा हो जाता है कोई बात नही".
ताऊ तो जाणो बाट मैं था ही उसते तो देखया नही गया
वो छ्होरा तें बोल्या "क्यूँ रें छोरे तन्ने मेरी 'सॉरी' की स्पेयलिंग समझ मैं कोनी आई के?"

1 comment:

राज भाटिय़ा said...

शेलेन्द्र भई राम राम ,थरो चुटकलो घना चोखा ल्गाय भई