एक बार म्हारे ताऊ न नयी नयी अँग्रेज़ी सीखी. सीखी के यू समझ ल्यो के दो चार अँग्रेज़ी के आखर सीख लिए. एक दिन ताऊ बड़ा राज़ी होन्दा एक बस मैं जा रिहा था. बस मैं कसूति भीड़ थी ताऊ का पाव एक छोरे के पाव पै पड़ गया . ताऊ फॅट बोल्या 'सॉरी' बेटा..
वो छोरा बोल्या "पता नही कहा कहाँ से आ जाते है "
थोड़ी देर मैं एक सुथरी सी छोरी बस मैं चढ़ि , अचानक उसका पैर भी उस छ्होरे के पैर पै पड़ गया .
वा छोरी बोली 'सॉरी' और मुस्कुरा दी .
छ्होरा बोल्या "कोई बात नही भीड़ मे तो ऐसा हो जाता है कोई बात नही".
ताऊ तो जाणो बाट मैं था ही उसते तो देखया नही गया
वो छ्होरा तें बोल्या "क्यूँ रें छोरे तन्ने मेरी 'सॉरी' की स्पेयलिंग समझ मैं कोनी आई के?"
Thursday, March 20, 2008
Friday, March 14, 2008
सॉफ्टवेर अपग्रेड के पंगे
हम सभी जो भी सॉफ्टवेर प्रयोग कर रहे हो अपग्रेड तो करते ही है. नये नये बेहतर सुविधाओं वाले सॉफ्टवेर आते ही रहते है. अगर लाइफ के सॉफ्टवेर मे अपग्रेड किया तो क्या हुआ? किस तरह की परेशानी आ सकती है और उसका क्या समाधान हो सकता है. एक लड़की का पत्र देखे जिसने 'बाय्फ्रेंड' से 'हज़्बेंड' मे अपग्रेड कर लिया।
डियर टेक सपोर्ट
पिछले साल जब से मैने 'बाय्फ्रेंड' 5.0 से 'हज़्बेंड' 1.0 मे अपग्रेड किया है सारे के सारे सिस्टम की कार्य क्षमता धीमे हो गयी है. खास तोर पर तोहफे का प्रोग्राम जो की 'बाय्फ्रेंड' 5.0 मे बहुत बढ़िया ढंग से चल रहा था अब कई बार बूट/ रिसटार्ट करने के बाद भी नही चलता. 'हज़्बेंड' 1.0 ने कई काम के प्रोग्राम जैसे की रोमॅन्स 9.5 व खास ख्याल 6.5 को उड़ा दिया है व फालतू के प्रोग्राम क्रिकेट 3.1 टीवी 4.1 को इनस्टॉल कर लिया है. बातचीत 8.0 का मॉड्यूल तो काम ही नही कर रहा है और घर की सफाई 2.6 ने मेरा सारा सिस्टम क्रॅश कर दिया है. मैने टोकना यूटिलिटी को चला कर देखा पर कोई बात नही बनी. अब आप ही बताए मै क्या करू.
आपकी
निराशा
-----------------------------------------
सबसे पहली बात ध्यान देने वाली यह है की 'बाय्फ्रेंड' 5.0 एक मनोरजन सॉफ्टवेर था परंतु 'हज़्बेंड' 1.0 एक ऑपरेटिंग सिस्टम है.
निम्न कमॅंड का प्रयोग कर के देखे
"तुम ऐसे तो न थे" डॉट ई एक्स ई
"मुझे लगा शायद तुम मुझसे प्यार करते हो" डॉट ई एक्स ई
कृपया आँसू 6.3 डाउनलोड कर ले व ग्लानि3.0 का अपडेट भी करना न भूले. अगर ये प्रोग्राम सही परिणाम देंगे तो 'हज़्बेंड' 1.0 फूल 3.5 व जेवर 2.0 के मॉड्यूल को अपने आप ही चला देगा.
परंतु ध्यान रहे इस प्रोग्राम का अत्यधिक प्रयोग 'हज़्बेंड' 1.0 को चुप्पी 2.5 बियर 6.1 मे डिफॉल्ट कर देता है. बियर 6.1 एक बहुत ही ख़तरनाक प्रोग्राम है जो तेज खर्रट्टा बीटा को डाउनलोड कर देता है.
कुछ भी करो परंतु सास 1.0 को मत इनस्टॉल करना क्यूंकी यह एक ऐसे वाइरस को फैलाता है जो की सिस्टम की मेमोरी को फुल कर देता है और कंट्रोल अपने हाथ में ले लेता है.
साथ ही 'बाय्फ्रेंड' 5.0 को फिर से इनस्टॉल करने की कोशिस मत करना क्योंकि यह 'हज़्बेंड' 0.1 को क्रॅश कर देगा और इसकी कोई सपोर्ट भीं नही मिलेगी .
कुल मिला कर 'हज़्बेंड' 1.0 एक सफल ऑपरेटिंग सिस्टम है जिकी मेमोरी थोरी कम है तो नये प्रोग्राम को जल्दी से नही समझ पाता
मेमोरी बढ़ने व अच्छी पर्फॉर्मेन्स के लिए आप हमारे नए प्रोग्राम खाना 4.0 व बिकिनी 7.7 का ट्राइयल वेर्जोन प्रयोग कर सकते है .
शुभ कामनाओ सहित
टेक सपोर्ट
डियर टेक सपोर्ट
पिछले साल जब से मैने 'बाय्फ्रेंड' 5.0 से 'हज़्बेंड' 1.0 मे अपग्रेड किया है सारे के सारे सिस्टम की कार्य क्षमता धीमे हो गयी है. खास तोर पर तोहफे का प्रोग्राम जो की 'बाय्फ्रेंड' 5.0 मे बहुत बढ़िया ढंग से चल रहा था अब कई बार बूट/ रिसटार्ट करने के बाद भी नही चलता. 'हज़्बेंड' 1.0 ने कई काम के प्रोग्राम जैसे की रोमॅन्स 9.5 व खास ख्याल 6.5 को उड़ा दिया है व फालतू के प्रोग्राम क्रिकेट 3.1 टीवी 4.1 को इनस्टॉल कर लिया है. बातचीत 8.0 का मॉड्यूल तो काम ही नही कर रहा है और घर की सफाई 2.6 ने मेरा सारा सिस्टम क्रॅश कर दिया है. मैने टोकना यूटिलिटी को चला कर देखा पर कोई बात नही बनी. अब आप ही बताए मै क्या करू.
आपकी
निराशा
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सबसे पहली बात ध्यान देने वाली यह है की 'बाय्फ्रेंड' 5.0 एक मनोरजन सॉफ्टवेर था परंतु 'हज़्बेंड' 1.0 एक ऑपरेटिंग सिस्टम है.
निम्न कमॅंड का प्रयोग कर के देखे
"तुम ऐसे तो न थे" डॉट ई एक्स ई
"मुझे लगा शायद तुम मुझसे प्यार करते हो" डॉट ई एक्स ई
कृपया आँसू 6.3 डाउनलोड कर ले व ग्लानि3.0 का अपडेट भी करना न भूले. अगर ये प्रोग्राम सही परिणाम देंगे तो 'हज़्बेंड' 1.0 फूल 3.5 व जेवर 2.0 के मॉड्यूल को अपने आप ही चला देगा.
परंतु ध्यान रहे इस प्रोग्राम का अत्यधिक प्रयोग 'हज़्बेंड' 1.0 को चुप्पी 2.5 बियर 6.1 मे डिफॉल्ट कर देता है. बियर 6.1 एक बहुत ही ख़तरनाक प्रोग्राम है जो तेज खर्रट्टा बीटा को डाउनलोड कर देता है.
कुछ भी करो परंतु सास 1.0 को मत इनस्टॉल करना क्यूंकी यह एक ऐसे वाइरस को फैलाता है जो की सिस्टम की मेमोरी को फुल कर देता है और कंट्रोल अपने हाथ में ले लेता है.
साथ ही 'बाय्फ्रेंड' 5.0 को फिर से इनस्टॉल करने की कोशिस मत करना क्योंकि यह 'हज़्बेंड' 0.1 को क्रॅश कर देगा और इसकी कोई सपोर्ट भीं नही मिलेगी .
कुल मिला कर 'हज़्बेंड' 1.0 एक सफल ऑपरेटिंग सिस्टम है जिकी मेमोरी थोरी कम है तो नये प्रोग्राम को जल्दी से नही समझ पाता
मेमोरी बढ़ने व अच्छी पर्फॉर्मेन्स के लिए आप हमारे नए प्रोग्राम खाना 4.0 व बिकिनी 7.7 का ट्राइयल वेर्जोन प्रयोग कर सकते है .
शुभ कामनाओ सहित
टेक सपोर्ट
Thursday, February 14, 2008
वैलेंटाइन SMS आप के लिए -- लगे रहो
ये दोस्ती
ये दोस्ती चिराग है इसे जलाये रखना,
ये दोस्ती फूल है इसे खिलाये रखना।
हम रहे न रहे इस जहाँ में बस ,
हमारी याद दिल में बसाए रखना ।
ये दोस्ती का रिश्ता भी अजीब होता है,
सब अपना अपना नसीब होता है।
रहते है जो निगाहों से दूर ,
वोही दिल के करीब होता है ।
दोस्ती के फूल हर मौसम में खिला करते है,
दोस्ती के बादल हर मौसम में बरसते है ,
हम 'SMS' भेजे न भेजे मगर ये सच है,
की हर रोज हम तुम्हे याद करते है।
वक्त की राहों में आप भुला दे चाहे हमे
पर हम आप को भुला नही पायंगे।
तेरी दोस्ती की कसम अ दोस्त
आवाज दे सपने में हम हकीकत में आयेगें।
====================
The best of Friendship doesn't come when you are together
It comes when you are apart and you realize..that
Despite distance and the silence friendship still survives.
====================
जिन्दगी में खुशियाँ ही नही थोडे गम भी हों
मुसीबतों को सहने का आप में थोड़ा दम भी हो,
लगे जिस मोड़ पर तन्हा जिन्दगी
दुआ करना उस मोड़ पेर हम भी हों।
आप तो चाँद हो जिसे सब याद करते है
हमारी किस्मत तो तारों जैसी है जिसे याद तो दूर
लोग अपनी ख्वाहिश के लिए
हमारे टूटने की फरियाद करते है.
* इसमे अपुन का कुछ नही है , सब पार किया हुआ है
जो उसे यूज करे 'कॉपी राईट' उसी का है
इस लिए क्रेडिट उन सब कही दिमागों का जिसने यह सब सोचा
ये दोस्ती चिराग है इसे जलाये रखना,
ये दोस्ती फूल है इसे खिलाये रखना।
हम रहे न रहे इस जहाँ में बस ,
हमारी याद दिल में बसाए रखना ।
ये दोस्ती का रिश्ता भी अजीब होता है,
सब अपना अपना नसीब होता है।
रहते है जो निगाहों से दूर ,
वोही दिल के करीब होता है ।
दोस्ती के फूल हर मौसम में खिला करते है,
दोस्ती के बादल हर मौसम में बरसते है ,
हम 'SMS' भेजे न भेजे मगर ये सच है,
की हर रोज हम तुम्हे याद करते है।
वक्त की राहों में आप भुला दे चाहे हमे
पर हम आप को भुला नही पायंगे।
तेरी दोस्ती की कसम अ दोस्त
आवाज दे सपने में हम हकीकत में आयेगें।
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The best of Friendship doesn't come when you are together
It comes when you are apart and you realize..that
Despite distance and the silence friendship still survives.
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जिन्दगी में खुशियाँ ही नही थोडे गम भी हों
मुसीबतों को सहने का आप में थोड़ा दम भी हो,
लगे जिस मोड़ पर तन्हा जिन्दगी
दुआ करना उस मोड़ पेर हम भी हों।
आप तो चाँद हो जिसे सब याद करते है
हमारी किस्मत तो तारों जैसी है जिसे याद तो दूर
लोग अपनी ख्वाहिश के लिए
हमारे टूटने की फरियाद करते है.
* इसमे अपुन का कुछ नही है , सब पार किया हुआ है
जो उसे यूज करे 'कॉपी राईट' उसी का है
इस लिए क्रेडिट उन सब कही दिमागों का जिसने यह सब सोचा
Sunday, January 13, 2008
अशोक चक्र धर उवाच :उनका शुरुआती अनुभव उनकी जुबानी
जीवन मे दूसरी बार अपने अलावा किसी दूसरे ब्लॉगर से साक्षात् मिलन हुआ। एक बार कभी लगभग एक साल पहले अमित अग्रवाल ने एक छोटी सी ब्लॉगर मीटिंग रखी थी दिल्ली मे जिसमे मैं भी उत्सुकता वश पहुच गया गया था रेवारी से । उस मीटिंग मे अमित को छोड़ कर सभी नए रंगरूट थे । उस मीटिंग का परिणाम यह हुआ कि आज गूगल हर महीने तनख्वाह भेज देता है ।
एक और मीटिंग एक दूसरे अमित ने बुलाई थी ( जिस मे वो खुद नदारद थे ) और हम जोश सहित पहुच गए । इसका परिणाम तो पता नही क्या निकलेगा और कब निकलेगा पर इस बार कई धुरंधरों से मुलाक़ात हुई । ब्लोग जगत कि कई जानीमानी हस्तिया जैसे कि अभिषेक कान्त, अभिषेक बक्षी, अजय जैन, ब्लोग्वानी के करता धरता(नाम भूल गया ), भारत वासी , भड़ास , इन्स्ता ब्लोग के अंकित, आशीष ,सृजन शिल्पी, हिरेन शाह, सिधार्थ शर्मा इत्यादी इत्यादी बहुत से लोग शिमला, आगरा , फरीदाबाद, दिल्ली , रेवारी भी से आये थे कुछ खोजते हुए ।
हिन्दी जगत के प्रसिद्ध हास्य कवि अशोक चक्र धर जी वहा मुख्य अतिथि व वक्ता थे ।
सभी ने इस सवाल का जवाब ढूँढने कि कोशिश की कि वे सब वो क्यों कर रहे है जो वो करते है , यानी कि ब्लोग्गिंग। और किस तरह से अपने जैसे लोगों को खास तोर पर हिन्दी मे लिखने वालों कि जनसंख्या को बढ़ा सकते है ।
राजेश लालवानी जी ने कुछ दिमाग खुरचने पर मजबूर किया और अभिषेक
बक्षी ने ब्लोग्गिंग के कुछ मूलभूत चीजो के बारे मे ज्ञान बांटा ।
नए ब्लागरों को ढूँढ ढूँढ कर पकड़ने के तरीकों के बारे मे भी चर्चा हुई और जो बन गए हैं उनको अच्छी तरह से ट्रेंड करने के बारे मैं भी बात हुई ।
हिन्दी ब्लोग्गिंग मे अपने अनुभव बांटा भाग १
भाग २
उन्हे ब्लोग्गिंग कईं भाती है
भाग ३
उनका ब्लोग्गिंग का शुरुआती अनुभव
भाग ४
ब्लोगिंग को परिभाषित करते हुए
भाग ५
मुकेश अम्बानी और धोनी पर उनकी कुंडली
अंत में सभी ब्लोग्गेर्स कि आपसी माथा पची का एक अंश
क्यूंकि दिल्ली मे हवा बहुत ही तेज और ठंडी चल रही थी तो मैं और मेरा हाथ दोनो काँप रहे थे इस लिए वीडियो को भी कंपकंपी लग रही है सो क्षमा चाहता हूँ
एक और मीटिंग एक दूसरे अमित ने बुलाई थी ( जिस मे वो खुद नदारद थे ) और हम जोश सहित पहुच गए । इसका परिणाम तो पता नही क्या निकलेगा और कब निकलेगा पर इस बार कई धुरंधरों से मुलाक़ात हुई । ब्लोग जगत कि कई जानीमानी हस्तिया जैसे कि अभिषेक कान्त, अभिषेक बक्षी, अजय जैन, ब्लोग्वानी के करता धरता(नाम भूल गया ), भारत वासी , भड़ास , इन्स्ता ब्लोग के अंकित, आशीष ,सृजन शिल्पी, हिरेन शाह, सिधार्थ शर्मा इत्यादी इत्यादी बहुत से लोग शिमला, आगरा , फरीदाबाद, दिल्ली , रेवारी भी से आये थे कुछ खोजते हुए ।
हिन्दी जगत के प्रसिद्ध हास्य कवि अशोक चक्र धर जी वहा मुख्य अतिथि व वक्ता थे ।
सभी ने इस सवाल का जवाब ढूँढने कि कोशिश की कि वे सब वो क्यों कर रहे है जो वो करते है , यानी कि ब्लोग्गिंग। और किस तरह से अपने जैसे लोगों को खास तोर पर हिन्दी मे लिखने वालों कि जनसंख्या को बढ़ा सकते है ।
राजेश लालवानी जी ने कुछ दिमाग खुरचने पर मजबूर किया और अभिषेक
नए ब्लागरों को ढूँढ ढूँढ कर पकड़ने के तरीकों के बारे मे भी चर्चा हुई और जो बन गए हैं उनको अच्छी तरह से ट्रेंड करने के बारे मैं भी बात हुई ।
इन सबके बीच अशोक चक्र धर जी, जो कि मुख्य अतिथि व '
स्टार पेर्फोर्मेर ' भी थे, ने अपने अनुभव बताये व सबको गुदगुदाया । ऐसे में मेरा 'मोटो रेजेर' कम आया और मैने उनके वक्तव्य को अपने फ़ोन मे कैद कर लिया जो आप सब कि नजर है ।
हिन्दी ब्लोग्गिंग मे अपने अनुभव बांटा भाग १
भाग २
उन्हे ब्लोग्गिंग कईं भाती है
भाग ३
उनका ब्लोग्गिंग का शुरुआती अनुभव
भाग ४
ब्लोगिंग को परिभाषित करते हुए
भाग ५
मुकेश अम्बानी और धोनी पर उनकी कुंडली
अंत में सभी ब्लोग्गेर्स कि आपसी माथा पची का एक अंश
क्यूंकि दिल्ली मे हवा बहुत ही तेज और ठंडी चल रही थी तो मैं और मेरा हाथ दोनो काँप रहे थे इस लिए वीडियो को भी कंपकंपी लग रही है सो क्षमा चाहता हूँ
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